किसान आंदोलन (जालंधर)
आज रोज़ की तरह मैं कॉलेज से घर जाने की लिए बस लेने के लिए खड़ी थी पर आज कुछ महोल अलग सा लग रहा था।
आज बहुत भीड़ और ट्रैफिक था और बस भी नहीं आ रही थी और जो आ रही थी उन्मे बहुत भीड़ थी। तभी मुझे मेरी एक दोस्त मिली उसने बताया कि आज हाइवे जाम है और बस लेट आयेगी और ट्रैफिक है । मैं बहुत परेशान हो गई क्योंकि वक़्त काफ़ी हो गया था और अंधेरा काफ़ी हो गया था और हमे जालंधर जाना था। तभी हम बिना कुछ सोचे एक ऑटो में बैठ गये हालाकि वो दुगना किराया ले रहा था पर उस समय पैसे से ज़्यादा घर जाना ज़रूरी था । हम निकल गये और जैसे ही आगे गये हमने देखा कि किसानों ने हाईवे को ब्लॉक कर दिया है और बीच हाईवे पर टेंट लगाके धरने पर बैठे हैं।हालाकि मुझे तब इसका कारण नहीं पता था परंतु बाद में पता चलता है कि यह किसान वही है जिनकी फसल और घर बाढ़ आने से बर्बाद हो गये और सरकार की तरफ़ से उन्हें कोई मुआवज़ा भी नहीं मिला और किसान की खेती पर ही उसकी ज़िंदगी निर्भर करती है। सरकार द्वारा पहले कई वादे किए गए पर पूरे नहीं किए गए। किसान इसके चलते बहुत परेशान हैं। धरना लगाने की अलावा उनके पास कोई और रास्ता भी नहीं था। हालाँकि वह अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं जो की लड़नी भी चाहिए परंतु आम आदमी को इसकी वजह से बहुत दिक़्क़त होती है। उस दिन मैं घर बहुत देर से पहुँची। मेरे घर के बाहर तक जाम लगा हुआ था। लोगों को बहुत दिक़्क़त परेशानी हो रही है। यह मेरी ज़िंदगी में मेरे साथ पहली बार हुआ कि मैंने ऐसा कोई धरना प्रदर्शन देखा और एक आदमी को जो परेशानियाँ होती है वो जानी। यह घटना मुझे आजीवन याद रहेगी।